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15 जुलाई के बाद नेशनल पेंशन सिस्‍टम (NPS) में निवेश करना पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा। दरअसल, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने पिछले महीने एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें निवेशकों को एनपीएस (NPS) निवेश में जोखिम प्रोफाइल के बारे में सूचित करने के नियम दिए गए थे। ताकि निवेशकों में जागरूकता बढ़ें और उन्हें ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिल सकें। साथ ही निवेशकों को निवेश संबंधी निर्णय लेने में आसानी हो।

6 तरह के हो सकते हैं रिस्क
सर्कुलर के मुताबिक, टियर-1 और टियर-2 एसेट क्लास इक्विटी (ई), कॉरपोरेट डेट (सी), सरकारी सिक्योरिटीज (जी) और स्कीम ए का प्रबंधन करने वाले पेंशन फंड को योजनाओं के जोखिम प्रोफाइल को रखना और उसे बताना चाहिए। सर्कुलर के अनुसार, निवेशकों को जागरूक करने के लिए रेगुलेटरी ने छह जोखिम स्तरों को रेखांकित किया है।

इसमें लो रिस्क, कम से मध्‍यम रिस्क, मध्‍यम रिस्क, मध्‍यम हाई जोखिम, हाई जोखिम और बहुत अधिक रिस्क जैसी रेटिंग दी जाएगी। सर्कुलर के अनुसार, “इंस्ट्रूमेंट की कंजर्वेटिव क्रेडिट रेटिंग के आधार पर, 0 से 12 तक के क्रेडिट रिस्क वैल्यू को असाइन किया जाएगा। 0 का क्रेडिट वैल्यू उच्चतम क्रेडिट क्वालिटी को बताता है, जबकि 12 का क्रेडिट वैल्यू सबसे कम क्रेडिट क्वालिटी को दर्शाता है। इस प्रकार पोर्टफोलियो का क्रेडिट जोखिम स्कोर प्रतिभूतियों के क्रेडिट जोखिम मूल्य के प्रोडक्ट और पोर्टफोलियो में उनके अलाॅटमेंट को मिलाकर निकाला जाएगा।”

रिस्क प्रोफाइलिंग की जांच कहां करें
प्रत्येक तिमाही के अंत के 15 दिनों के भीतर ‘Portfolio disclosure’ सेक्शन के तहत संबंधित पेंशन फंड की वेबसाइटों पर जोखिम प्रोफाइलिंग को लेकर जानकारी दी जाएगी। हर साल 31 मार्च को योजनाओं का जोखिम स्तर और सालभर में जितनी बार जोखिम स्तर बदला गया है, उसे पेंशन फंड की वेबसाइटों पर प्रकाशित किया जाएगा।


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