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पेट्रोल गाड़ियां कबाड़ के भाव बिकेंगी, सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन कार को दी मंजूरी, आधा हो जाएगा गाड़ी का खर्च

सरकार ने बुधवार को 19,744 करोड़ रुपये के खर्च के साथ नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। इस पहल का मकसद कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के साथ देश को ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है।

आज की इस स्टोरी में ये जानने की कोशिश करेंगे कि क्या सच में ये पेट्रोल की कार के तुलना में सस्ती है? अगर है तो कितनी सस्ती है?

ग्रीन हाइड्रोजन कार की इतनी है माइलेज
भारत में टोयोटा कार ने अपना एक पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है, जिसमें उसकी कार एक किलो हाइड्रोजन गैस में 200-250 किलोमीटर की माइलेज दे रही है। हालांकि सरकार की कोशिश इसे बढ़ाकर 400 किलोमीटर तक करने की है।

इस समय एक किलो हाइड्रोजन गैस की कीमत 420 से 455 रुपये के बीच है। इसे गणित की भाषा में समझें तो एक किलोमीटर का सफर तय करने के लिए 2 से 2.5 रुपये का खर्च आएगा।

पेट्रोल कार में कितना आता है एक किमी पर खर्च
अलग-अलग कार की माइलेज विभिन्न होती है, लेकिन आम तौर पर आज के समय में जितनी कारें लॉन्च हो रही हैं उनकी माइलेज 15-20 किलोमीटर प्रति लीटर होता है। अब इसके हिसाब से देखें तो एक लीटर पेट्रोल की कीमत इसस समय 100 रुपये के करीब है।

यानि आपको 100 किलोमीटर की यात्रा करने के लिए 500 रुपये तक खर्च करने पड़ जाएंगे। इसके हिसाब से प्रति किलोमीटर खर्च 5 रुपये आता है। अगर इसे हम हाइड्रोजन कार से तुलना करें तो यह काफी महंगा है।

क्या है ग्रीन हाइड्रोजन?
ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के रूप में वाहनों और तेल रिफाइनरी तथा इस्पात संयंत्र जैसे उद्योगों में ऊर्जा स्रोत के रूप में होता है। इसका उत्पादन इलेक्ट्रोलाइसिस प्रक्रिया के जरिये पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित कर किया जाता है।

मिशन के लिये शुरुआती खर्च 19,744 करोड़ रुपये है। इसमें ग्रीन हाइड्रोजन की तरफ बदलाव को रणनीतिक हस्तक्षेप (साइट) कार्यक्रम के लिये 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिये 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिये 400 करोड़ रुपये तथा मिशन से जुड़े अन्य कार्यों के लिये 388 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं।