2021-22 के फसल सीजन में पैदावार में तेज गिरावट जीरे की कीमतों को 5 साल के उच्च स्तर पर धकेल सकती है। भारत के जीरे के उत्पादन में 35 फीसदी की गिरावट आ सकती है, जिससे जीरे की कीमतों में 30-35 फीसदी का उछाल आ सकता है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के हवाले से ET की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
जीरे की फसल का मौसम नवंबर से शुरू होकर मई तक रहता है। काली मिर्च के बाद जीरा दुनिया का दूसरा सबसे लोकप्रिय मसाला है। सालाना आधार पर जीरे का उत्पादन 35% तक घट सकता है, क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, रबी सीजन 2021-22 के दौरान जीरे का रकबा साल-दर-साल 21 फीसदी घटकर 9.83 लाख हेक्टेयर रह जाने का अनुमान है। सबसे ज्यादा गिरावट गुजरात और राजस्थान के प्रमुख उत्पादक राज्यों में आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिकूल मौसम ने उपज को प्रभावित किया है।
गुजरात में सालाना आधार पर पैदावार में 20 फीसदी और राजस्थान में 15 फीसदी की गिरावट आई है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का अनुमान है कि भारत का जीरा उत्पादन सालाना आधार पर 35 फीसदी घटकर 55.8 करोड़ टन रह सकता है। भारत से जीरा निर्यात भी प्रभावित हुआ है : जीरा भारत, सीरिया, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।
भारत में जीरा उत्पादन प्रभावित होने का एक कारण यह भी है कि बुवाई के मौसम में अधिक कीमतों के कारण किसान सरसों और चना की ओर रुख कर रहे हैं। सरसों का भाव 43 फीसदी बढ़कर 74 रुपये प्रति किलो हो गया है। भारत से जीरे का निर्यात भी प्रभावित हुआ है। FY22 में इसमें साल-दर-साल 24 फीसदी की गिरावट आई है।
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