उड़ने वाली कार्स और बाइक पर इन दिनों काफी चर्चा हो रही है, लेकिन चीन एक नई टेक्नोलॉजी (Maglev Technology in Cars) पर काम कर रहा है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से मौजूदा इलेक्ट्रिक कार्स का माइलेज बढ़ाया जा सकता है। फ्यूचर में किस टेक्नोलॉजी का बोलबाला होगा, इस पर अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। मगर इलेक्ट्रिक कार्स का विस्तार तेजी से हो रहा है।
दुनियाभर में लोग पेट्रोल और डीजल कार्स से इलेक्ट्रिक कार्स की ओर मूव कर रहे हैं। इन गाड़ियों के साथ एक समस्या बैटरी और चार्जिंग स्टेशन की है। हर जगह फास्ट चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध नहीं हैं और सिंगल चार्ज में आप कहां तक इन्हें लेकर जा सकते हैं। ऐसे में चीन Maglev टेक्नोलॉजी (Maglev Technology in Cars) पर काम कर रहा है।
क्या है Maglev टेक्नोलॉजी?
Maglev टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से कार रोड से 35mm ऊपर दौड़ती है। चीनी मीडिया ने इसका एक वीडियो भी शेयर किया है। इस प्रोग्राम से जुड़े रिसर्चर्स का कहना है कि पैसेंजर गाड़ियों में Maglev (Magnetic Levitation) टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से एनर्जी यूज घटेगा।
इसके साथ ही वीइकल्स की रेंज भी बढ़ेगी। इसका सबसे ज्यादा फायदा इलेक्ट्रिक वीइकल इंडस्ट्री को मिल सकता है। जहां यूजर्स कार की रेंज को लेकर अभी परेशान रहते हैं।
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A #maglev vehicle technology test saw a 2.8-tonne car float 35 millimeters above the road and run on a highway in #Jiangsu, east China. A permanent magnet array was installed for levitation. pic.twitter.com/7vWc8TvJpn
— QinduoXu (@QinduoXu) September 12, 2022
कमर्शियल ट्रेन इस पर करती है काम?
कुछ कमर्शियल ट्रेनों में इसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। Maglev टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल मैग्नेटिक फिल्ड को इलेक्ट्रिफाई करने में किया जाता है। इससे वीइकल को आगे या पीछे हाई स्पीड पर दौड़ाया जा सकता है।
इसका इस्तेमाल 1980 से हो रहा है। चीन, जापान और साउथ कोरिया में आज Maglev ट्रेन्स यूज हो रही हैं। इसकी मदद के चीन ने पिछले साल एक बुलेट ट्रेन को 373 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया था।
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कई चुनौतियां भी हैं
Maglev टेक्नोलॉजी की मदद से आप कम एनर्जी खर्च करके हाई-स्पीड पर वीइकल को मूव कर सकते हैं। मगर इसकी कुछ चुनौतियां भी हैं। सोचिए क्या होगा अगर एक ही रोड पर Maglev कार्स और नॉन-मैग्नेटिक कार्स दौड़ेंगी तो?
इनके आपस में टकराने की चांज बढ़ सकते हैं। इसके अलावा इस तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना भी मुश्किल काम है। क्योंकि इसमें लंबा वक्त और काफी ज्यादा पैसा लगेगा।
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