TOL

देश में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान तेजस के नए संस्करण को स्वदेशी मिसाइल, रडार और अन्य हथियारों से लैस किया जाएगा। इस लड़ाकू विमान को स्वदेशी हथियारों से लैस कर भारत दुनिया को बड़ा संदेश देना चाहता है तथा ‘मेड इन इंडिया’ की ताकत का भी अहसास कराना चाहता है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, तेजस के नए संस्करण एलसीए एमके-1ए को पूरी तरह से स्वदेशी हथियारों से लैस करने की तैयारी कर ली गई है। अगले दो-तीन महीनों के भीतर देश में बनी मिसाइल अस्त्र के परीक्षण तेजस से किए जा सकते हैं। अस्त्र नजदीक और दूर तक लक्ष्य को भेदने वाली मिसाइल है, जिसका निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने किया है। इस मिसाइल को सुखोई पर भी फिट किया गया है तथा उसके परीक्षण चल रहे हैं। अब इसे तेजस के नए संस्करण पर फिट किया जा रहा है तथा परीक्षण किए जाएंगे। यह मिसाइल हवा से हवा में 10-120 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्य को भेदने में बेहद कारगर है।

सूत्रों ने कहा कि अभी हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र मिसाइल तैयार की गई है, लेकिन नौसेना के लिए सतह से हवा में मार करने वाला इसका नया संस्करण तैयार हो रहा है। जिसका इस्तेमाल भविष्य में तेजस के नौसेना के लिए बनने वाले संस्करण में किया जाएगा।

दूसरा महत्वपूर्ण स्वदेशी रक्षा उपकरण एईएसए रडार
इसी प्रकार तेजस में दूसरा महत्वपूर्ण स्वदेशी रक्षा उपकरण एईएसए रडार है। इसे भी डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं ने विकसित किया है। इस रडार की खूबी यह है कि इसे लड़ाकू विमान में इस्तेमाल किया जाए तो वह न सिर्फ हवा में मौजूद लक्ष्य की जानकारी देता है, बल्कि जमीन और समुद्र में मौजूद लक्ष्य की भी सूचना भी प्रदान करता है। इसलिए इस रडार के तेजस में स्थापित होने से इसकी क्षमता में इजाफा होगा। कई प्रकार के ऑपरेशन में उसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।

ऑन बोर्ड ऑक्सीजन पैदा करने वाला सिस्टम भी स्थापित किया जा रहा
तेजस में ऑन बोर्ड ऑक्सीजन पैदा करने वाला सिस्टम भी स्थापित किया जा रहा है। इसका निर्माण भी डीआरडीओ की प्रयोगशाला डिफेंस बॉयोइंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रोमेडिकल लेब्रोटरी (डीईबीईएल) ने किया है। रक्षा सूत्रों ने कहा कि युद्ध में लड़ाकू विमान में इस्तेमाल होने वाले कई अन्य उपकरण भी स्वदेशी लगाए जा रहे हैं।

तेजस

60 फीसदी स्वदेशी और 40 फीसदी विदेशी कंपोनेंट थे तेजस के शुरुआती निर्माण में, अब नए संस्करणों में इसे लगातार कम किया जा रहा।
40 तेजस की आपूर्ति की जा रही है अभी वायुसेना के लिए, इनमें से 30 तेजस की हो चुकी है आपूर्ति तथा बाकी 10 भी अगले दो साल में मिल जाएंगे।

स्वदेशी हथियारों से लैस तेजस के नए संस्करण के 83 विमान वायुसेना के लिए खरीदे जाएंगे, जो वायुसेना को पुराने पड़ चुके मिग विमानों से मुक्ति दिलाएंगे। अगले पांच-छह साल में इन विमानों की आपूर्ति होगी, जिससे मिग की सभी 4 स्वाड्रन को हटा दिया जाएगा।


Discover more from Newzbulletin

Subscribe to get the latest posts sent to your email.