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उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 से पहले भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त देने के लिए एक हुए दलों की राह अब जुदा हो रही है। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने वाले महान दल ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया तो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी एक्शन में आ गए। अखिलेश यादव ने महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य को तोहफे में दी गई फार्च्यूनर कार वापस ले ली।

समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद भी विधानसभा चुनाव में महान दल को एक भी सीट नहीं मिली। इसके बाद भी इसके मुखिया केशव देव मौर्य ने काफी सब्र रखा। विधानसभा चुनाव के बाद जब विधान परिषद, राज्यसभा तथा विधान परिषद चुनाव में उनकी पार्टी को नहीं पूछा गया तो केशव देव मौर्य की राह जुदा हो गई।

केशव देव मौर्य ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन समाप्त कर लिया, यानी समर्थन को वापस ले लिया। पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता माने जाने वाले केशव देव मौर्य का यह कदम समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को काफी नागवार लगा। अखिलेश यादव भी इसके बाद एक्शन में आ गए।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केशव देव मौर्य को गिफ्ट में दी गई फार्च्यूनर कार को वापस ले लिया। केशव देव मौर्य के पास फार्च्यूनर करीब सात महीने रही। फार्च्यूनर अखिलेश यादव ने चुनाव से पहले महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य को गिफ्ट दी थी। बीते वर्ष ऑटोमेटिक फार्च्यूनर मिलने के बाद केशव देव मौर्य की पत्नी और उनके बेटे व बहू ने कार की पूजा की थी।

समाजवादी पार्टी ने गाड़ी केशव देव मौर्य को विधानसभा चुनाव में प्रचार के काम के लिए दी थी। अखिलेश के एक सलाहकार ने केशव देव मौर्य को फोन करके गाड़ी वापस करने की बात कही है। जिसके बाद तुरंत ही केशव देव ने गाड़ी वापस कर दी।

केशव देव मौर्य ने कहा कि हम ऐसी सैकड़ों गाडिय़ां खरीद सकते हैं। अगर कार्यकर्ताओं के चंदे का पैसों का इस्तेमाल गाडिय़ों में करने लगे तो हम एक ही दिन में सैकड़ों गाड़ी खरीद लेंगे, लेकिन हम कार्यकर्ताओं की मेहनत का पैसा सुविधाओं के लिए नहीं उड़ाते।

फार्च्यूनर गाड़ी समाजवादी पार्टी के नाम से रजिस्टर्ड है हम ने मना किया तो कहा गया, यह गठबंधन का गिफ्ट है आप अब इसी से चलेंगे। उन्होंने कहा कि हमको केवल दो विधानसभा सीट दी गई जबकि हमने 13 विधानसभा सीटें मांगी थी। हम चुनाव तक शांत थे।

केशव देव मौर्य ने कहा कि जब आठ विधानसभा सीट वाले को राज्यसभा भेजा जा सकता है। तो हमारे गठबंधन में हमें विधान परिषद सदस्य क्यों नहीं बनाया गया। लगातार उपेक्षा के चलते हमने सपा से गठबंधन तोडऩे का ऐलान किया है।


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